Ahoi Ashtami
अहोई अष्टमी का व्रत संतान की सुरक्षा और उसके सुखी जीवन के लिए रखा जाता है। यह व्रत माताएं रखती हैं, इसमे निर्जला उपवास रखने का विधान है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखते हैं। यह व्रत हर साल कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है।पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि की शुरुआत 4 नवंबर की मध्य रात्रि 1 बजे से हो रही है। इसका समापन 5 नवंबर को देर रात 3 बजकर 19 मिनट पर होगा। उदया तिथि 5 नवंबर, रविवार के दिन पड़ रही है। इसलिए अहोई अष्टमी का व्रत 5 नवंबर को रखा जाएगा। इस वर्ष अहोई अष्टमी के दिन रवि पुष्य योग समेत 4 शुभ योग बन रहे हैं , जिस कारण इस व्रत का महत्व और ज़्यादा बढ़ गया है।
Ahoi Ashtami 2023 मुहूर्त
अहोई अष्टमी डेट – 5 नवंबर 2023
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त – शाम 05.33 – शाम 06:52 (5 नवंबर 2023)
तारों को देखने का समय – शाम 05:58 (5 नवंबर 2023)
चंद्रोदय समय – प्रात: 12.02, 6 नवंबर
|| अहोई अष्टमी को चंद्रमा देर से उदित होते हैं ||
Ahoi Ashtami Vrat Katha (अहोई अष्टमी व्रत कथा)
प्राचीन काल में किसी नगरी में एक साहूकार रहता था। उसके सात लड़के थे। दीपावली से पहले साहूकार की स्त्री घर की रंगाई के लिए खदान से मिट्टी लेने गई । कुदाल से मिट्टी खोदने समय गलती से मिट्टी के अंदर मौजूद सेह बच्चे की मृत्यु उसके हाथों हो गई। मिट्टी खोदते समय अनजाने में सेही के बच्चे की मृत्यु हो गई, जिसके कारण सेही ने उस महिला को श्राप दिया। साहूकार की पत्नी को अपने हाथ से हुई हत्या को लेकर बहुत दुख हुआ। वो पश्चाताप करती हुई अपने घर लौट आई।
कुछ समय बाद साहूकार के पहले बेटे की मृत्यु हो गई, अगले साल दूसरा बेटा भी चल बसा इसी प्रकार कुछ सालों के भीतर उस महिला के सभी सातों पुत्रों की मृत्यु हो गई। उसे अहसास हुआ कि यह सेही द्वारा दिए गए श्राप का परिणाम है। एक दिन उसने अपने आस-पड़ोस की महिलाओं को विलाप करते हुए बताया कि उसने जानबूझ कर कभी कोई पाप नहीं किया, बस गलती से मिट्टी की खदान में मेरे हाथों एक सेह के बच्चे की मृत्यु हो गई थी।
ये सुनकर पड़ोस की औरतों ने साहूकार की पत्नी कहा कि पश्चाताप से तुम्हारा आधा पाप खत्म हो गया। अब तुम कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन सेह और सेह के बच्चों का चित्र बनाकर उनकी अराधना करो और क्षमा-याचना करो। इससे तुम्हारे सारे पाप धुल जाएंगे।
साहूकार की पत्नी ने ऐसा ही किया। अपने पुत्रों को वापस पाने के लिए वह हर साल नियमित रूप से पूजा और क्षमा याचना करने लगी। इस व्रत के प्रभाव से उसे पुनः सातों पुत्रों की प्राप्ति हुई। तभी से अहोई व्रत की परम्परा प्रचलित हो गई।
व्रत विधि | Ahoi Ashtami Puja Vidhi 2023
अहोई अष्टमी के दिन पूजा की तैयारी सूर्य अस्त होने से पहले पूरी करनी चाहिए। प्रातः काल स्नान करके सबसे पहले घर की दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाएं। उसके बाद एक कलश में पानी भरें और उसके ऊपर करवा चौथ पर इस्तेमाल किया गया करवा रखें। अब अपने हाथों में गेहूं लेकर अहोई अष्टमी की व्रत कथा सुने। पूजा समाप्त होने के बाद अहोई अष्टमी की आरती करें। इसके बाद महिलाएं शाम को चंद्रमा और तारों को जल चढ़ाएं, थोड़ा सा पानी बचा लें। अब बचे हुए पानी को दिवाली के दिन पूरे घर में छिड़क दें। जल चढ़ाने के बाद अहोई अष्टमी का व्रत पूरा हो जाता है।
आरती अहोई माता की
जय अहोई माता, जय अहोई माता।
तुमको निसदिन ध्यावत हर विष्णु विधाता॥
जय अहोई माता॥
ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमला तू ही है जगमाता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता॥
जय अहोई माता॥
माता रूप निरंजन सुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता॥
जय अहोई माता॥
तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता॥
जय अहोई माता॥
जिस घर थारो वासा वाहि में गुण आता।
कर न सके सोई कर ले मन नहीं धड़काता॥
जय अहोई माता॥
तुम बिन सुख न होवे न कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता॥
जय अहोई माता॥
शुभ गुण सुंदर युक्ता क्षीर निधि जाता।
रतन चतुर्दश तोकू कोई नहीं पाता॥
जय अहोई माता॥
श्री अहोई माँ की आरती जो कोई गाता।
उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता॥
जय अहोई माता॥
Ahoi Ashtami पर न करें ये गलतियां
अहोई अष्टमी पर दिन में नहीं सोना चाहिए, अन्यथा परेशानी हो सकती है। वहीं इस व्रत के दौरान रात में जागकर भगवान का भजन-कीर्तन करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
इन चीजों के इस्तेमाल से बचें
अहोई अष्टमी के दिन सुई, कील जैसी नुकीली चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इन चीजों का इस्तेमाल करने से पूजा का शुभ फल प्राप्त नहीं होता ।
Ahoi Ashtami को लड़ाई-झगड़े से रहें दूर
अहोई अष्टमी के दिन किसी से भी लड़ाई-झगड़ा करने से बचें। साथ ही किसी बड़े का अपमान न करें। ऐसा करने से भगवान नाराज हो जाते हैं।
Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारियों मान्यताओं पर आधारित है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।