दुर्गा चालीसा : भक्ति और शक्ति का संगम, नमो नमो दुर्गे सुख करनी – नवरात्रि में करें माँ को प्रसन्न

दुर्गा चालीसा नवरात्रि में करें माँ को प्रसन्न

दुर्गा चालीसा का महत्व

दुर्गा चालीसा : भक्ति और शक्ति का संगम, नमो नमो दुर्गे सुख करनी - नवरात्रि में करें माँ को प्रसन्न

हिंदू धर्म के अनुसार माँ दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। दुर्गा माँ जिनकी आठ भुजाएँ है, वो अपनी शक्ति से बुराई का अंत कर देती हैं। माता दुर्गा का प्रतिदिन नियम पूर्वक चालीसा पढ़ने से आसपास जितनी भी नकारात्मक शक्तियां हैं, उनका नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है। किसी के जीवन में कितनी भी आर्थिक परेशानियां हो और यदि आप निरंतर माता दुर्गा का स्मरण करें, तोवहसारीपरेशानियांशांतहोजातीहैं।

माँ दुर्गा की उपासना करने से ज्ञान, बुद्धि, धन, और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। यदि आपको किसी कारण से डर या भय लगता हो, तो दुर्गा चालीसा को पढ़ने से आपके सभी  प्रकार के भय दूर हो जाते है । आइए दुर्गा चालीसा के साथसाथपूजाकेमहत्वकोभीजाने।

दुर्गा चालीसा करने के नियमों का करे पालन

 कोई भी धार्मिक ग्रंथ हो, या चालीसा हो, या आरती इन्हें करने के कुछ नियम होते है। आइए जाने इनके बारे में : –

  • दुर्गा चालीसा का पाठ करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।इस
  • दुर्गा चालीसा पाठ के लिए सूर्योदय के पूर्व उठ कर स्थान आदि कर साफ सुथरे कपड़े पहनने चाहिए ।
  • इसके बाद घर के मंदिर में  स्थापित दुर्गा मां की प्रतिमा के सामने दीया जला कर, प्रतिमा पर फूल, रोली, और प्रसाद चढ़ाकर धूप दिखा कर विधिवत पूजाअर्चना करनी चाहिए।
  • अभी दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर इसके बाद करें माता की आरती ।

          फिर सब में प्रसाद बांटे |

दुर्गा चालीसा

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अम्बे दुःख हरनी॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुंलोक में डंका बाजत॥

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ संतन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥

अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नरनारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग हो बिन शक्ति तुम्हारी॥

शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप का मरम पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावें।
रिपू मुरख मौही डरपावे॥

शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥

करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला।
जब लगि जिऊं दया फल पाऊं
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं

दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥

देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

|| इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ||

Durga Chalisa Lyrics in English

Namo Namo Durge Sukh Karani
Namo Namo Ambe Dukh Harni
1

Nirakar Hai Jyoti Tumhari
Tihu Lok Phaili Uujiyaari
2

Shashi Lalaat Mukh Maha Vishala
Netra Lal Bhrikutee Vikaraala
3

Roop Maatu Ko Adhik Suhaave
Darshan Karata Jana Ati Sukh Paave
4

Tum Sansar Shakti Laya Keena
Palana Hetu Anna Dhan Deena
5

Annapoorna Hui Tu Jag Pala
Tumhi Aadi Sundari Bala
6

Pralayakala Sab Nashana Haari
Tum Gouri Shiv Shankar Pyari
7

Shiv Yogi Tumhre Gun Gaave
Brahma Vishnu Tumhein Nit Dhyavein
8

Roop Saraswati Ka Tum Dhara
Day Subuddhi Rishi Munina Ubara
9

Dharyo Roop Narsimha Ko Amba
Pragat Bhayi Phaad Ke Khamba
10

Raksha Kari Prahlad Bachaayo
Hiranyakush Ko Swarg Pathayo
11

Lakshmi Roop Dharo Jag Maahin
Shree Narayan Anga Samahin
12

Ksheer Sindhu Mein Karat Vilaasa
Daya Sindhu Deejey Man Aasa
13

Hingalaja Mein Tumhi Bhavani
Mahima Amit Na Jaat Bakhani
14

Matangi Aru Dhoomavati Mata
Bhuvaneshwari Bagala Sukhdata
15

Shree Bhairav Tara Jag Tarani
Chhinna Bhala Bhava Dukh Nivarini
16

Kehari Vahan Soha Bhavani
Laangur Veer Chalata Agavani
17

Kar Mein Khappar Khadag Virajay
Jako Dekh Kaal Dar Bhajey
18

Sohe Astra Aur Trishula
Jase Uthata Shatru Hiya Shoola
19

Nagarkot Mein Tumhi Virajat
Tihu Lok Mein Danka Baajat
20

Shumbh-Nishumbh Danav Tum Maare
Rakta Beej Shankhan Sangharey
21

Mahishasur Nrip Ati Abhimaani
Jehi Agh Bhar Mahi Akulaani
22

Roop Karaal Kali ka Dhara
Sen Sahita Tum Tihin Samhara
23

Pari Gadh Santana Par Jab Jab
Bhayi Sahay Maatu Tum Tab Tab
24

Amarpuri Aru Baasav Lokaa
Tab Mahima Sab Kahe Ashoka
25

Jwala Mein Hai Jyoti Tumhari
Tumhein Sada Poojey Nar Nari
26

Prem Bhakti Se Jo Yash Gave
Dukh Daridra Nikat Nahi Aave
27

Dhyaave Tumhein Jo Nar Man Layi
Janma Maran Tako Chhouti Jaayi
28

Yogi Sur Muni Kahat Pukaari
Yog Na Hoye Bina Shakti Tumhari
29

Shankara Acharaj Tap Ati Keenho
Kaam Krodh Jeet Sab Leenho
30

Nishidin Dhyan Dharo Shankar Ko
Kaahu Kaal Nahin Sumiro Tumko
31

Shakti Roop Ko Maram Na Payo
Shakti Gayi Tab Man Pachitayo
32

Sharnagat Huyi Kirti Bakhaani
Jai Jai Jai Jagadambe Bhavani
33

Bhayi Prasanna Aadi Jagadamba
Dayi Shakti Nahin Keen Vilamba
34

Maukon Maatu Kashta Ati Ghero
Tum Bin Kaun Hare Dukh Mero
35

Asha Trishna Nipat Satavein
Ripu Moorakh Mohe Ati Darpaave
36

Shatru Nash Kijey Maharani
Soumiron Ikchit Tumhein Bhavani
37

Karo Kripa Hey Maatu Dayala
Riddhi Siddhi Dey Karahou Nihaala
38

Jab Lagi Jiyun Daya Phal Paoun
Tumhro Yash Mein Sada Sunaoun
39

Durga Chalisa Jo Nar Gaave
Sab Sukh Bhog Parampad Pavey
40

Devidas Sharan Nij Jaani
Karahoun Kripa Jagadambe Bhavani

 

Ambe Tu Hai Jagdambe Kali Aarti

दुर्गा चालीसा के जाप करने का महत्‍व

दुर्गा चालीसा का पाठ करने से भक्तों को आत्मिक शक्ति, सांत्वना, और सुख की प्राप्ति होती है। दुर्गा चालीसा का पाठ करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। माँ दुर्गा का स्मरण करने से मन में शांति बनी रहती है। शरीर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा का संचार बनाएं रखने के लिए माता दुर्गा का चालीसा जरूर पढ़ना चाहिए। दुर्गा चालीसा पढ़ने से दुश्मनों से निपटने और उनको हराने की क्षमता हम में आती है। 

                    माँ दुर्गा का चालीसा पढ़ने से दुख दर्द दूर हो जाते हैं और हमारी मानसिक शक्ति बढ़ती  है। दुर्गा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को जीवन की कठिनाइयों से निपटने में सहायक होता है और माँ दुर्गा की कृपा से उन्हें सफलता प्राप्त होती है।

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली आरती :

दुर्गा चालीसा का पाठ करने से कौन से लाभ होते हैं

मन की शांति

दुर्गा चालीसा का पाठ करने से अनेक आध्यात्मिक और मानवता के लाभ हो सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति नियमित रूप से दुर्गा चालीसा का पाठ करता है तो व्यक्ति को आध्यात्मिक, भौतिकऔरभावनात्मकखुशीमिलतीहै।इससेमनमेंपॉजिटिवविचारआतेहैंऔरमनशांतरहताहै।

दुख दूर करें

अगर कोई पैसों की परेशानी से घिरा हुआ हो, तोउसेदुर्गाचालीसाकापाठहररोज़जरूरकरनाचाहिए।

कष्टों का करे नाश

मान्यता है कि जो भी व्यक्ति दुर्गा चालीसा का पाठ करता है वह कई सारे रोग दोषों से दूर रहता है और इसका पाठ करने वाला व्यक्ति को दीर्घायु प्राप्त होती है। दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति में शक्ति और साहस की वृद्धि हो सकती है, जो जीवन के चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में सहायक होती है।

जीवन में स्थिरता दे

जीवन में उथलपुथल चल रही हो तो दुर्गा चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए। इस पाठ को करने से जीवन में स्थिरता आती है और कई समस्यों का समाधान भी हो सकता है।

एनर्जी से भरपूर

चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति, आत्मशुद्धि, और मानवता के मूल्यों के प्रति समर्पण में सुधार हो सकता है। कहा जाता है कि दुर्गा चालीसा का पाछ करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है, जिस से शरीर में पॉजिटीव एनर्जी भी फील होती है।

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