Sharad Purnima
Importance of Sharad Purnima शरद पूर्णिमा का महत्व
शरद पूर्णिमा 2023: हिंदू धर्म में हर माह आने वाली पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है।अश्विन माह में आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है।सभी पूर्णिमाओं में से शरद पूर्णिमा को विशेष महत्व दिया जाता है एवं कल्याणकारी माना गया है ।
आश्विन माह की पूर्णिमा अन्य सभी पूर्णिमा से भी बिल्कुल अलग होता है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपनि सोलह कलाओ से युक्त होता है। इस दिन खीर बनाकर आंगन में रखने की परम्परा है और सुबह स्नान कर उसे ग्रहण किया जाता है। इससे सारे रोग दोष समाप्त हो जाते है ।
ऐसी मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की पूजा और कथा श्रवण से विशेष फल प्राप्त होता है।
शरद पूर्णिमा का त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार शरद ऋतु के आगमन का संकेत देता है।
कब सें कब तक है शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा की तिथि 28 अक्टूबर की सुबह 04 बजकर 17 मिनट से शुरू हो रही है ,और उसका समापन 28 अक्टूबर की देर रात्रि 03 बजकर 46 मिनट पर हो रहा है। इसलिए शरद पूर्णिमा का व्रत 28 अक्टूबर को ही रखा जाएगा ।
शरद पूर्णिमा का त्योहार
शरद पूर्णिमा का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घर को सजाते हैं और साथ में माता लक्ष्मी की पूजा भी करते हैं। पूजा के दौरान, एक थाली में चांदी के सिक्के, और अन्य धन से संबंधित वस्तुएं रखकर माता लक्ष्मी की प्रार्थना, पूजा की जाती है। लोग ऐसी आशा करते हैं कि माता लक्ष्मी उन पर अपनी कृपा बरसाएंगी और उन्हें धन संपदा की प्राप्ति होगी।
इस दिन कोजागर व्रत भी मनाया जाता है, जिसमें रात को जागकर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लोग विशेष ध्यान देते हैं कि रात को जागकर वे भगवान की आराधना करते हैं। यह व्रत धन और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
कब से कब तक रहेंगे चंद्रग्रह
इस साल का आखिरी चंद्रग्रहण 28 अक्टूबर को लगने वाला है। ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। सूतक काल में पूजा-पाठ, दीया-बाती करना वर्जित होता है। आप केवल मंत्र जाप कर सकते हैं।
यानि चंद्र ग्रहण के दिन दोपहर 03 बजे सूतक काल लगेगा और ग्रहण की शुरुआत 28 अक्टूबर की रात 01 बजे से 05 मिनट होगी। जो रात के 02 बजकर 23 मिनट तक रहने वाला है।
Sharad Purnima पूजा विधि
शरद पूर्णिमा का पूजन अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व रखता है ।इसकी पूजा विधि का पालन करने से व्यक्ति को आत्मा के शुद्धिकरण का अवसर प्राप्त होता है। आइये हम आपको शरद पूर्णिमा की पूजा विधि की संक्षिप्त जानकारी देंगे :
स्नान
पूजा की शुरुआत अच्छे से नहा धो कर करें। यह एक पवित्र एवं शुद्ध भावना का प्रतीक होता है।
पूजा स्थल
पूजा के लिए एक शांत और शुद्ध जगह का चयन करें, जहां भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र रखें।
आसन
एक साफ और सुथारे आसन बैठकर पूजा करें।आसन सुखद(comfortable) होना चाहिए, क्योंकि आपको लंबे समय आसन पर बैठकर पूजा करनी होती है।
पूजा सामग्री
पूजा के लिए चावल, फूल, दीपक, धूप, अगरबत्ती, सुगंध, कारखाना, कपूर, बाबा, और पूजनीय प्रसाद की आवश्यकता होती है। इनमें से किसी को भी कुछ तैयार करने की जरूरत नहीं है।
पूजा विधि
शरद पूर्णिमा पूजा की आदर्श विधि निम्नलिखित हो सकती है
गणेश जी की पूजा से आरंभ करें।
फिर भगवान विष्णु की पूजा के लिए अपने मन को शुद्ध करें और उनके चित्र या मूर्ति को देखकर मन में उनका स्मरण करें।
विष्णु जी का तुलसी के पत्तों से श्रृंगार पूजन करें।
फूलों के पुष्पहार भगवान को अर्पित करें।
दीपक और धूप से पूजा का माहौल आत्मिक बनाएं।
अगरबत्ती और सुगंध से पूजा का माहौल और भी सुंदर बना सकते हैं।
पूजा के बाद, भगवान को प्रसाद का भोग लगाएं और उन्हें प्रणाम करें। बाद में सबमें प्रसाद बांटें।
भजन और कीर्तन
शरद पूर्णिमा के दिन भजन और कीर्तन का आयोजन करना भी अत्यधिक शुभ माना जाता है। लोग भगवान की महिमा का गान करते हैं, जिससे आध्यात्मिक में वृद्धि होती है।
Sharad Purnima के दिन के कार्य
शरद पूर्णिमा के दिन कई अन्य कार्यों का भी महत्व है। इनमें से कुछ मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:
व्रत
शरद पूर्णिमा के दिन का व्रत अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। व्रत के दौरान व्यक्ति निराहार रहता है और भगवान की पूजा करता है।
जागरण
कोजागरी पूर्णिमा को जागरण के साथ भी मनाया जाता है। रात्रि में लोग जागकर भगवान की भजन कीर्तन करते हैं और अपने घर को सजाकर सुंदर बनाते हैं।
दान
इस दिन दान करना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। व्यक्तिगत अन्न, वस्त्र, धन, या अन्य आवश्यक सामग्री दान करके पुण्य कमा सकते हैं।
चंदन और कुमकुम
शरद पूर्णिमा के दिन चंदन और कुमकुम का विशेष महत्व है। लोग अपने आप को चंदन और कुमकुम से सजाकर भगवान की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
चाँद की पूजा
शरद पूर्णिमा की रात्रि को चाँद की पूजा करना भी अच्छा माना जाता है। चंद्रमा को जल, दीपक, चावल और कुमकुम से पूजते हैं।
Sharad Purnima के दिन पूजन का मुहूर्त
शरद पूर्णिमा के दिन सूतक काल दोपहर 3:00 बजे लगने जा रहा है और सूतक काल लग जाने के बाद पूजा पाठ वर्जित रहता है। वहीं शरद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है और इस दिन चंद्र अर्ध्य भी दिया जाता है। ऐसे में उस दिन ना ही पूजा कर पाएंगे और ना ही अर्ध्य दे पाएंगे। माना जाता है कि माता लक्ष्मी भगवान विष्णु रात्रि में पृथ्वी पर भ्रमण करते हैं। इसलिए ग्रहण समाप्ति के बाद ही माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की पूजा आराधना करें। इससे आपके सारे कष्ट समाप्त हो जाएंगे।
Sharad Purnima में ऐसे रखें खीर आंगन में
इस दिन ,रात्रि में खीर खुले आसमान के नीचे रखी जाती है, ताकि उसमें चन्द्रमा सें अमृत वर्षा हो सके। इस बार कई साल बाद शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण लगने जा रहा है इसलिए इस साल खीर को पूरी रात बाहर ना रखें, इससे वह दूषित हो जाएगी। ग्रहण 28 अक्टूबर की रात 01 बजकर 05 मिनट में लगने जा रहा है और समाप्ति 02 बजकर 23 मिनट पर होगी. इसलिए ग्रहण समाप्त होने के बाद ही यानि 02 बजकर 23 मिनट के बाद खीर को खुले आसमान के नीचे रखें और सुबह स्नान कर ही ग्रहण करें, जो शुभ रहने वाला है।
FAQ (Frequently Asked Questions)
शरद पूर्णिमा क्या है?
शरद पूर्णिमा, हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है।
इसे किस नाम से भी जाना जाता है?
शरद पूर्णिमा को “कोजागरी पूर्णिमा” और “रास पूर्णिमा” के नाम से भी जाना जाता है।